Posts

Showing posts from April, 2021

'Tikli and Laxmi Bomb' : Film Review

Image
     Directed by Aditya Kriplani                           ये कहानी उन 'औरतों और लड़कियों' की है जिनको लेकर समाज के बहुत से लोग बहुत तरह के नजरिये रखते हैं। कुछ के लिये ये 'वैश्यायें' हैं, जिनको पैसे देकर खरीदा और बेचा जा सकता है, कुछ के लिये ये 'whore' हैं, जिनकी कोई इज्जत नहीं है तो कुछ के लिये ये prostitutes हैं, जिन्हें जोर-जबरदस्ती से इस पेशे में घसीटा गया है और इनको आजाद कराने की मुहीम में वो कुछ लोग शामिल हैं। पर इस आजादी के बाद की जिंदगी कैसे गुजरेगी, ये सवाल अभी भी अधूरा है?               एक आम लड़की से Sex Worker बनने तक की जो भी मजबूरी या तंगी रही हो पर इस पेशे में आने के बाद ये महिलाएं अपने माहौल में छोटी-बड़ी खुशियां ढूंढ़ लेती हैं, नये रिश्ते बना लेती हैं, दर्द बांटना- हंसना सीख जाती हैं और उनकी जिंदगी का यही खूबसूरत हिस्सा फिल्म 'Tikli and Laxmi Bomb' में दिखाया गया है। इसके साथ ही इस कहानी का एक खास हिस्सा इन Sex Workers की 'क्रान्ति' का है, जो आजादी पाने का नह...

The Great Hack, 2019: Documentary Review

Image
                'लोकतंत्र' एक ऐसा शब्द है, जो किसी भी लोकतांत्रिक देश के नागरिक को यह भरोसा दिलाने की क्षमता रखता है कि उसके देश में चलने वाली शासन प्रणाली के पीछे उसकी एक अहम भूमिका है। इसके साथ ही वो व्यक्ति विशेष चाहे किसी भी समुदाय, धर्म, जाति या वर्ग से हो, एक लोकतंत्र में उस नागरिक का उतना ही महत्व है जितना की अन्य प्रतिष्ठित नागरिकों का। परन्तु समकालीन समय में क्या वाकई लोकतांत्रिक अधिकार अपनी परिभाषा को उतनी ही मजबूती से पकड़े हुए हैं जितने गौरव से वो किताबों में अंकित हैं? वोट डालने जा रहा नागरिक क्या वाकई अपनी राजनैतिक विचारधारा को लेकर बेफिक्र है की उसके दिमाग ने राजनीतिक पार्टियों के प्रति जो भी निर्णय लिया है उसमें सिर्फ उसी की भागीदारी है? या फिर इस विचारधारा व निर्णय को जन्म देने वाला कोई और है?            भारतीय परिप्रेक्ष्य में एक आम इंसान की राजनैतिक विचारधारा बनने की प्रक्रिया को देखते हुए टिप्पणी की जाये तो गली के कोने में दूकान पर बैठे नाइ, चौराहे पर सब्जी बेचने वाले दुकानदार या हमार...